Home » » एक खुला ख़त जुगल किशोर सैनी जी (प्राचार्य ) के नाम

एक खुला ख़त जुगल किशोर सैनी जी (प्राचार्य ) के नाम

नीमकाथाना स्थित राजकीय सेठ नन्दकिशोर पटवारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राचार्य पद पर से श्री जुगल किशोर सैनी ३० जून २०१६ को सेवानिवृत्त हो रहे हैं | श्री सैनी मूलतः डाबला के निवासी हैं किन्तु वर्तमान में नीमकाथाना बस गये हैं |
http://www.neemkathanalive.in/2016/06/jugal-kishore-saini-nkt-principal.html
 
श्री सैनी ने सन् १९७२ में डाबला से मैट्रिक ६८% अंकों से पास कर अपनी कक्षा में प्रथम स्थान तथा सम्पूर्ण राजस्थान में ३० वाँ स्थान हासिल किया था | हायर सैकण्डरी भी आपने डाबला से ही प्रथम श्रेणी में पास की | प्रथम श्रेणी में पास होने पर श्री सैनी को सरकार की तरफ से state need cum merit scholarship दी गई | आगे अपना अथ्ययन चालू रखने के लिए सैनी जी ने कोटपूतली महाविद्यालय ज्वाइन कर अच्छे अंकों से स्नातक की डिग्री अंग्रेजी साहित्य, राजनीति विज्ञान व अर्थ शास्त्र में हासिल की तत्पश्चात् राजस्थान विश्व विद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री ली |

अंग्रेजी साहित्य में एम़ ए़ करने के उपरान्त एक साल इन्होंने हरयाणा के महेन्द्रगढ़ सरकारी कॉलेज में अध्यापन कार्य किया और उसके बाद राजस्थान में राजकीय महाविद्यालय सवाई माथोपुर से प्रवक्ता के पद से पारी शुरू की | श्री सैनी डीडवाना, बारां नीमकाथाना व कोटपूतली आदि स्थानों पर कार्यरत रहे | श्री सैनी ने हमेशा निष्ठा भाव से कार्य किया | छात्र हित इनके लिए सदा सर्वोपरि रहा है | कार्य के प्रति निष्ठा व लगन की वजह से ही ये प्राचार्य पद पर पहुँच पाये हैं | इनके शिष्य इनकी शिक्षण शैली से विशेष प्रभावित रहे हैं | नीमकाथाना प्राचार्य रहते हुए महाविद्यालय को इनका विशेष योगदान रहा है | नीमकाथाना में गत वर्ष गर्ल्स हॉस्टल पहली बार इन्हीं के विशेष प्रयासों से शुरू हुआ था |
श्री सैनी जी ने विद्यालय को हमेशा अपना पूरा समय दिया है | जीवन में किसी भी क्षेत्र में इन्होंने कभी कोई लापरवाही नहीं बरती |
चारित्रिक रूप से भी ये युवकों व आम आदमी के लिए एक आदर्श व्यक्ति रहे हैं |
श्री सैनी जी को अच्छे संस्कारों की देन का श्रेय इनके पिताजी श्री मूंगाराम सैनी जी को है | इनके पिताश्री लगभग सौ साल के आस-पास हैं | वे एक सदाचारी व्यक्ति रहे हैं| वे जीवनभर मिताहारी रहे हैं सिर्फ एक समय भोजन करते हैं तथा हमारे इलाके के बहुत अच्छे भजन गायक रहे हैं किन्तु गायकी वे सिर्फ शौकिया तौर पर ही करते थे | उनका मुख्य धंधा टेलरिंग का था | हमारे डाबला में उनके समान कोई टेलर नहीं था | श्री मूंगाराम जी के भजन मैंने भी काफी सुने हैं | वे बहुत ही अच्छा हारमोनियम बजाते थे, उनके भजनों पर श्रोता झुम उठते थे | श्री मूंगाराम जी को जीवन में मैंने कोई भी नशा करते हुए कभी नहीं देखा | न कभी उनको गुस्से में किसी से गाली गलौच या लड़ते झगड़ते देखा | यही कारण है कि संयमित व संतुलित जीवनचर्या होने से वे निःसंदेह शतायु होंगे |
जे. के. सैनी अपने मित्रों में लोकप्रिय रहे हैं | छोटे मजदूर से लेकर अधिकारी तक इनके मित्र रहे हैं तथा हर प्रकार की परिस्थियों में अपना सामंजस्य बिठाने की अद्भुत क्षमता इनमें है |

मैं अपने आप को गौरान्वित महसूस करता हूँ की सैनी जी का स्नेह अनेक मंच पर कार्य करते मिला ।

अभिमान इनके आस पास भी नहीं है | गाँव के हर व्यक्ति से आत्मीयता से मिलना व व्यवहार करना इनकी खूबी है |
अपने परिवार यथा भाइयों के लिए भी इन्होंने बहुत कुछ किया है |
ऐसे विरले ही व्यक्ति समाज में हैं| मैं कामना करता हूँ कि सेवानिवृत्ति के पश्चात् भी ये हमारे प्रेरणा स्रोत बने रह कर अपने जीवन का शतक पूरा करें | मैं इन्हें शत् शत् नमन करता हूँ |
सेवानिवृति पर हार्दिक शुभकामनायें...

Via- Manmohan singh

0 comments:

Post a Comment